थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहा सीमा विवाद एक बार फिर गंभीर मोड़ ले चुका है। हाल ही में थाईलैंड ने कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिससे क्षेत्र में तनाव और अधिक बढ़ गया है। यह विवाद ऐतिहासिक कारणों से जुड़ा हुआ है, जिसकी जड़ें 20वीं सदी की शुरुआत में फ्रांसीसी उपनिवेश काल में जा मिलती हैं।
इतिहास का झगड़ा:
1907 में फ्रांसीसी अधिकारियों ने जब कंबोडिया में सीमा रेखा खींची थी, तब थाईलैंड ने कुछ हिस्सों को लेकर आपत्ति जताई थी। थाईलैंड का आरोप है कि फ्रांस ने कुछ क्षेत्रों को ठीक से सीमांकित नहीं किया, जिनमें कई ऐतिहासिक मंदिर भी शामिल हैं।
मुख्य घटनाक्रम:
- 2011: प्रेह विहार मंदिर के आस-पास थाई और कंबोडियाई सेनाओं के बीच टकराव हुआ था। इस झड़प में लगभग 20 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था।
- 28 मई 2025: थाई और कंबोडियाई सैनिकों के बीच फिर से मुठभेड़ हुई जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया। यह झड़प एमराल्ड ट्रायंगल क्षेत्र में हुई, जहाँ कंबोडिया, थाईलैंड और लाओस की सीमाएं मिलती हैं। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगाया।
- 1 जुलाई 2025: थाईलैंड की प्रधानमंत्री पायटोंगटार्न शिनावात्रा को उनके पद से निलंबित कर दिया गया। एक लीक ऑडियो क्लिप में वह अपनी ही सेना की आलोचना करती सुनाई दीं, जो कंबोडिया के पूर्व नेता से बातचीत के दौरान सामने आई। इससे राजनीतिक हलकों में भारी उथल-पुथल मच गई।
- 16 जुलाई 2025: एक विवादित क्षेत्र में लैंडमाइन विस्फोट हुआ जिसमें तीन थाई सैनिक घायल हो गए, इनमें से एक ने अपना पैर खो दिया।
- 23 जुलाई 2025: फिर से एक लैंडमाइन धमाका हुआ जिसमें पांच थाई सैनिक घायल हो गए। एक सैनिक ने अपनी टांग गंवा दी। इसके जवाब में थाईलैंड ने कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया और सभी सीमा पार मार्गों को बंद कर दिया।
- 24 जुलाई 2025: कंबोडिया ने भी प्रतिक्रिया देते हुए थाईलैंड के साथ अपने राजनयिक संबंधों को न्यूनतम स्तर पर ला दिया और बैंकॉक से अपने सभी दूतावास कर्मियों को वापस बुला लिया।
क्या हो सकता है आगे:
दोनों देशों के बीच जारी यह सीमा विवाद न केवल स्थानीय सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में अस्थिरता का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही शांति वार्ता नहीं की गई, तो यह संघर्ष पूर्ण युद्ध में बदल सकता है।
निष्कर्ष:
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच का यह विवाद ऐतिहासिक, राजनीतिक और सैन्य दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील है। शांति की स्थापना के लिए दोनों देशों को बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि निर्दोष नागरिकों की जान बचाई जा सके और क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे।