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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला अब डिजिटल प्राइवेसी हर भारतीय का मौलिक अधिकार

On: August 22, 2025 11:30 AM
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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला अब डिजिटल प्राइवेसी हर भारतीय का मौलिक अधिकार

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिसने देशभर में चर्चा छेड़ दी है। कोर्ट ने कहा कि डिजिटल प्राइवेसी (Digital Privacy) हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है।
इस फैसले का सीधा असर सरकार, सोशल मीडिया कंपनियों, टेक कंपनियों और आम लोगों पर पड़ेगा।

आइए जानते हैं इस बड़े फैसले की पूरी डिटेल, इसके मायने और आगे आने वाले बदलाव।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला – क्या कहा जजों ने?

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “आज के डिजिटल युग में, लोगों की निजी जानकारी (Data) उनकी पहचान का हिस्सा है। इसे सुरक्षित रखना सरकार और कंपनियों दोनों की जिम्मेदारी है।”
  • कोर्ट ने साफ किया कि बिना सहमति के किसी का डेटा इकट्ठा करना या शेयर करना कानून के खिलाफ होगा।
  • यह फैसला 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से सुनाया।

डिजिटल प्राइवेसी क्यों अहम है?

आज के समय में हर किसी का बैंक डिटेल, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, सोशल मीडिया प्रोफाइल और लोकेशन डेटा ऑनलाइन मौजूद है।
अगर यह गलत हाथों में चला जाए तो–

  • आर्थिक धोखाधड़ी (Fraud) हो सकती है।
  • पहचान चोरी (Identity Theft) हो सकता है।
  • ब्लैकमेल और साइबर क्राइम बढ़ सकते हैं।

इसलिए डिजिटल प्राइवेसी को “मौलिक अधिकार” बनाना बेहद जरूरी कदम माना जा रहा है।

सोशल मीडिया और टेक कंपनियों पर असर

इस फैसले के बाद फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, गूगल जैसी कंपनियों पर भी असर पड़ेगा।

  • अब कंपनियों को डेटा पॉलिसी और प्राइवेसी पॉलिसी और मजबूत करनी होगी।
  • बिना यूज़र की अनुमति के किसी भी जानकारी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
  • अगर कोई कंपनी नियम तोड़ती है तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी।

सरकार की जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से भी कहा है कि–

  • डेटा सुरक्षा के लिए कड़ा कानून लाया जाए।
  • सरकारी योजनाओं में आधार या मोबाइल नंबर के इस्तेमाल पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
  • डिजिटल इंडिया के बढ़ते दायरे में आम नागरिकों की प्राइवेसी की सुरक्षा सबसे अहम हो।

दुनिया में डिजिटल प्राइवेसी की स्थिति

  • यूरोप (EU): यहाँ पहले से ही GDPR (General Data Protection Regulation) लागू है, जिसमें नागरिकों के डेटा की सुरक्षा पर सख्त नियम हैं।
  • अमेरिका: अलग-अलग राज्यों में प्राइवेसी कानून लागू हैं, खासकर कैलिफोर्निया में CCPA (California Consumer Privacy Act)
  • भारत: अब इस फैसले के बाद उम्मीद है कि GDPR जैसे कड़े नियम लागू होंगे।

आम लोगों के लिए इसका फायदा

  • अब कोई भी ऐप आपकी जानकारी बिना पूछे इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।
  • ऑनलाइन बैंकिंग और UPI पेमेंट और सुरक्षित होंगे।
  • फर्जी कॉल्स और स्पैम मैसेज पर लगाम लगेगी।
  • लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल बिना डर के कर पाएंगे।

एक्सपर्ट्स की राय

  • कानून विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला भारतीय संविधान में “गोपनीयता के अधिकार” को और मजबूत करेगा।
  • टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इससे भारत का डेटा सुरक्षा सिस्टम दुनिया के बराबर खड़ा हो जाएगा।
  • साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों के मुताबिक इससे साइबर क्राइम पर भी नियंत्रण लगेगा।

डेटा लीक के कुछ बड़े मामले (भारत में)

  • 2022 में एक बड़े सरकारी पोर्टल से लाखों आधार और पैन कार्ड लीक हुए थे।
  • 2023 में एक ई-कॉमर्स वेबसाइट से करोड़ों लोगों की जानकारी डार्क वेब पर बेची गई।
  • 2024 में कई बैंकों के क्रेडिट कार्ड डिटेल हैक हो गए थे।

इन घटनाओं के बाद लोगों में डिजिटल प्राइवेसी को लेकर चिंता और बढ़ गई थी।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत में डिजिटल अधिकारों को नई दिशा देगा।
अब नागरिकों को यह भरोसा होगा कि उनकी निजी जानकारी सुरक्षित है और कोई भी कंपनी या संस्था इसे गलत तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाएगी

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