भारत और अमेरिका के रिश्तों पर जर्मन अखबार ने बड़ा दावा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन पर बात करने के लिए चार बार कॉल करने की कोशिश की, लेकिन पीएम मोदी ने हर बार बातचीत से इनकार कर दिया।
अमेरिकी कंपनियों की एंट्री पर नाराजगी
जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर ऑलगेमाइन (FAZ) के अनुसार, ट्रंप चाहते थे कि भारत अमेरिकी कृषि कंपनियों को अपने बाजार में आसानी से प्रवेश दे। लेकिन भारत सरकार ने साफ मना कर दिया। यही वजह है कि ट्रंप ने हाल ही में भारत की अर्थव्यवस्था को “मृत” (Dead Economy) कहकर हमला बोला।
‘महान नेता’ से ‘मृत अर्थव्यवस्था’ तक
- फरवरी में व्हाइट हाउस में ट्रंप ने मोदी को “महान नेता” कहा था और एक फोटोबुक भी भेंट की थी।
- लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति का रुख बदल गया है।
- भारत द्वारा अमेरिकी कंपनियों को रोकने के फैसले ने ट्रंप को भड़का दिया है।
PM मोदी क्यों नहीं उठा रहे ट्रंप का फोन?
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप चाहते थे कि फोन पर बातचीत कर भारत को ट्रेड डील के लिए तैयार करें। लेकिन मोदी सरकार किसी जल्दबाज़ी में समझौता नहीं करना चाहती।
- भारत को डर है कि ट्रंप सोशल मीडिया पर पहले ही घोषणा कर देंगे और बाद में शर्तें बदल देंगे।
- वियतनाम के साथ हुए डील का उदाहरण इसी का सबूत है, जहां ट्रंप ने आधिकारिक बातचीत से पहले ही ट्वीट कर दिया था।
अमेरिकी रणनीति ध्वस्त – एक्सपर्ट
न्यूयॉर्क के इंडिया-चाइना इंस्टीट्यूट के सह-निदेशक मार्क फ्रेज़ियर का कहना है कि ट्रंप की इंडो-पैसिफिक अलाइनमेंट की रणनीति अब फेल हो रही है।
- अमेरिका चाहता था कि चीन के खिलाफ भारत उसका सेंट्रल पार्टनर बने।
- लेकिन भारत ने कभी भी ऐसा कमिटमेंट नहीं दिया।
- यही वजह है कि दोनों देशों के रिश्तों में तनाव साफ दिखाई दे रहा है।
भारत-अमेरिका व्यापार पर असर
- भारत के कुल निर्यात का करीब 20% हिस्सा अमेरिका जाता है (मुख्य रूप से कपड़े, रत्न, ऑटो पार्ट्स)।
- लेकिन अब अमेरिका ने भारत से आने वाले कुछ निर्यातों पर 50% तक टैरिफ लगा दिया है।
- यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो चुका है।
- इसका सीधा असर 48 अरब डॉलर के व्यापार पर पड़ेगा।
भारत और अमेरिका के रिश्तों में यह खींचतान नई नहीं है, लेकिन इस बार हालात ज्यादा गंभीर हैं। पीएम मोदी का ट्रंप के कॉल्स से बचना और अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत पर लगातार दबाव डालना बताता है कि दोनों देशों की कूटनीतिक राह आसान नहीं रहने वाली।