मध्य प्रदेश (MP) बोर्ड द्वारा जारी किए गए 10वीं और 12वीं कक्षा के परिणाम इस बार विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। कई छात्रों और अभिभावकों ने आरोप लगाए हैं कि परीक्षा परिणाम में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं। अब मामला सरकार के पास पहुंच चुका है और जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
क्या है पूरा मामला?
भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे कई जिलों से छात्रों और अभिभावकों ने शिकायत की है कि—
- बिना परीक्षा दिए छात्रों को पास कर दिया गया।
- कुछ होशियार छात्रों को फेल कर दिया गया।
- मूल्यांकन प्रक्रिया में गड़बड़ी और नंबरों की हेराफेरी के सबूत सामने आए हैं।
छात्रों का आरोप क्या है?
छात्रों का कहना है कि:
- उनकी उत्तर पुस्तिकाएं जांची ही नहीं गईं।
- मार्कशीट में नाम, रोल नंबर और अंक गलत हैं।
- कई छात्रों को 0 या 5 अंक दिए गए हैं, जबकि उन्होंने पेपर सही भरा था।
सरकार ने क्या कार्रवाई की?
मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। शिक्षा मंत्री ने बयान दिया है कि—
“यदि घोटाले के प्रमाण मिलते हैं तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। जांच के लिए एक विशेष टीम गठित कर दी गई है।”
क्या है विशेषज्ञों की राय?
शिक्षाविदों का मानना है कि—
- डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली में खामियां हो सकती हैं।
- परिणाम प्रक्रिया में मानव हस्तक्षेप को पूरी तरह समाप्त करना जरूरी है।
- छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।
छात्रों और अभिभावकों में नाराज़गी
राजधानी भोपाल में कई स्थानों पर छात्रों ने प्रदर्शन भी किया है। उनका कहना है कि यदि सही जांच न हुई तो वे उच्च न्यायालय का रुख करेंगे।
यह भी पढ़ें:
निष्कर्ष:
MP Board 2025 के रिजल्ट में सामने आए ये आरोप सिर्फ परीक्षा प्रणाली पर ही नहीं, बल्कि सरकारी व्यवस्था की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाते हैं। यदि जांच में ये बातें सही साबित होती हैं, तो यह भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका होगा।
क्या आप भी इस घोटाले से प्रभावित हुए हैं?
नीचे कमेंट में अपनी कहानी जरूर शेयर करें और इस खबर को अधिक से अधिक छात्रों तक पहुंचाएं।