Court vs Trump अमेरिका की इकोनॉमी पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसले को अवैध करार देने वाले निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा, तो सरकार को 750 अरब डॉलर से 1 ट्रिलियन डॉलर तक का रिफंड करना पड़ सकता है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने साफ चेतावनी दी है कि यह कदम ट्रेजरी के कामकाज पर भी भारी असर डालेगा।
ट्रंप के टैरिफ पर क्यों मचा बवाल?
दरअसल, ट्रंप सरकार ने “रेसिप्रोकल टैरिफ” लागू किया था, जिसे अदालत ने गैरकानूनी करार दिया। अदालत का कहना है कि टैरिफ लगाना केवल कांग्रेस का अधिकार है, राष्ट्रपति का नहीं। मई में इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट और अगस्त में फेडरल अपील कोर्ट ने इसी आधार पर टैरिफ को रद्द कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट की अगली चाल अहम
अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जहां ट्रंप सरकार ने निचली अदालत का फैसला पलटने की अपील की है। अगर कोर्ट ने भी टैरिफ को अवैध करार दिया, तो सरकार को अरबों डॉलर वापस करने होंगे। 24 अगस्त तक अमेरिकी बिजनेस ने 210 अरब डॉलर से ज्यादा का टैरिफ भर दिया है।
750 अरब से 1 ट्रिलियन डॉलर का खतरा
ट्रंप प्रशासन के डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, फैसले के बाद सरकार को कम से कम 750 अरब डॉलर और अधिकतम 1 ट्रिलियन डॉलर का रिफंड देना पड़ सकता है। इतना बड़ा रिफंड सीधे अमेरिकी इकोनॉमी पर बोझ डालेगा और बजट घाटा बढ़ा देगा।
क्या हैं ट्रंप के विकल्प?
नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल के डायरेक्टर केविन हैसेट ने कहा कि सरकार के पास अब भी कुछ कानूनी रास्ते बचे हैं, जैसे सेक्शन 232, जिसके तहत पहले स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ लगाए गए थे। वहीं, बेसेंट का कहना है कि सभी अड़चनों के बावजूद ट्रंप ने टैरिफ बहाल कर व्यापार असंतुलन को सुधारने की दिशा में अहम कदम उठाया है।